महादेवी वर्मा का जीवन परिचय : माता-पिता का नाम, महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य, पुरस्कार,रचना
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
महादेवी वर्मा (1907-1987) एक मशहूर हिंदी कवित्री, लेखिका, साहित्यिक और समाजसेविक थीं। उन्हें हिंदी साहित्य की महान कवियों में से एक माना जाता है और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से विभिन्न समाजिक मुद्दों को उजागर किया। महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ।
महादेवी वर्मा की माता-पिता का नाम
महादेवी वर्मा की माता-पिता गोविन्द सहाय वर्मा और हेम रानी थीं। उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई की शिक्षा दी, जिससे वे व्याकरण, संस्कृत और अंग्रेजी में विद्यालयी शिक्षा प्राप्त कर सके। उनकी पहली कविता "माधवी" 14 वर्ष की उम्र में प्रकाशित हुई थी।
महादेवी वर्मा की जीवन की महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण साहित्यिक कार्य किए। उनकी प्रमुख कविता संग्रहों में "यहाँ आँखों वाली चिड़ियाँ" (1942), "निम्न निर्झर" (1951), "यह खेत जल रहा है" (1955) और "मुखोता" (1972) शामिल हैं। इनमें से कई कविताएं स्त्री समाज और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रशंसा करती हैं।
उन्होंने लघु कथा संग्रह "यहाँ एक आँखियाँ झूलती हैं" (1966) और नाटक "धरा का एक पत्थर" (1970) भी लिखे।
पूरा नाम | महादेवी वर्मा |
अन्य नाम | आधुनिक मीरा |
जन्म तिथि | 26 मार्च 1907 |
जन्म स्थान | फर्रुखाबाद |
मृत्यु तिथि | 11 सितंबर 1987 |
मृत्यु स्थान | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश (भारत) |
आयु (मृत्यु के समय) | 80 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | कवयित्री, उपन्यासकार, लघुकथा लेखिका |
शिक्षा | एम. ए. संस्कृत, प्रयागराज विश्वविद्यालय |
साहित्यिक आन्दोलन | छायावाद |
काल/अवधि | बीसवीं शताब्दी |
भाषा | साहित्यिक खड़ी बोली |
शैली | छायावादी, मुक्तक शैली |
रचनाएँ | नीरजा, सान्ध्य गीत, दीपशिखा, सप्तपर्णा, नीहार, रश्मि, हिमालय |
पुरस्कार | अकादेमी पुरस्कार (1961), पद्मश्री (1971), नेहरू पुरस्कार (1979) |
पिता का नाम | गोविन्द सहाय वर्मा |
माता का नाम | हेम रानी |
पति का नाम | डॉ स्वरूप नारायण वर्मा |
महादेवी वर्मा के जीवन में मिलने वाले पुरस्कार
महादेवी वर्मा को साहित्य के क्षेत्र में कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1961) और पद्मश्री (1971) से सम्मानित किया गया। वे नेहरू पुरस्कार (1979) की प्राप्तकर्ता भी रहीं।
महादेवी वर्मा का जीवन समाजसेवा में भी समर्पित रहा। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में भी अहम योगदान दिया। वे समाजसेवी संगठन आर्य महिला सभा की संस्थापक भी रहीं।
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
महादेवी वर्मा की मृत्यु
महादेवी वर्मा 21 सितंबर 1987 को मुंबई, महाराष्ट्र में अपने 80 वर्ष की आयु में निधन हो गईं, लेकिन उनकी रचनाएं और उनका साहित्य उनकी स्मृति में हमेशा जीवित रहेंगे।
महादेवी वर्मा ने अपने जीवन के दौरान एक सम्पूर्णतः विशेषतः साहित्यिक और सामाजिक धारणा विकसित की। उनकी कविताएं समाज के विभिन्न मुद्दों पर उठने वाली आवाज़ के रूप में जानी जाती हैं। वे महिला सशक्तिकरण, स्वतंत्रता संग्राम, प्रेम, प्राकृतिक सौंदर्य, जीवन-मृत्यु और मानवीय संबंधों जैसे विषयों पर अपनी रचनाएं लिखती थीं।
उनकी कविताओं का शैली गंभीर, सुंदर और अद्वितीय होता था। उन्होंने अपनी कविताओं में संवेदनशीलता, वाद-विवाद, और विचारों के मध्य सम्बंध स्थापित किया। उन्होंने मानवीय भावनाओं को गहराई से छूने की क्षमता रखी और अपनी कविताओं के माध्यम से पाठकों की भावनाओं को प्रभावित किया।
महादेवी वर्मा की रचना
महादेवी वर्मा की रचनाएं साहित्य के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को लेकर अपनी लड़ाई के माध्यम से बहुत साधना की। उन्होंने भारतीय समाज में जाति और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ भी अपनी आवाज़ उठाई।
उन्होंने आर्य महिला सभा की स्थापना की, जो महिलाओं के शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में काम करती है। वे आधारभूत शिक्षा के महत्व को समझती थीं और अपने लेखों के माध्यम से इस पर जोर देती थीं।
समाजसेवा के साथ-साथ, महादेवी वर्मा एक अद्भुत साहित्यिक व्यक्तित्व थीं, जो अपने कार्यों के माध्यम से समाज को प्रभावित करती थीं। उनकी रचनाएं और योगदान आज भी हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण हैं और उनकी स्मृति उनकी महानता को याद दिलाती है।
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